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This will change your life - PRAYER FOR YOU

MY PRAYER FOR YOU                                                                         Rivers do not struggle to flow, you will never struggle to excel in life, because you deserve the best.  remain in God's love.. Your dream will not die, your plans will not fail, your destiny will not be aborted, and the desire of your heart will be granted.  Say a big Amen. No one goes to the river early in the morning and brings dirty water. may your life be clean, calm and clear like the early morning water. May the grace of the Almighty support, sustain and supply all your needs according to his riches in glory. Amen. The will of God will never take you where the grace of God will not protect you. you are going to receive a divine visitation that will move your life forward mightily by the working of God's unstoppable Power. Do not break this prayer; send to others because we all need prayers. If you think I am also important to you just as you are to me, you can send it back to me. :)

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क्या निर्विचार होना ही ध्यान है या ध्यान में निर्विचार होना है?

हमारा ध्यान जहां होगा हमारी उर्जा उस दिशा में गति करने लगती है। यदि हमारा ध्यान प्रेम में होगा तो उर्जा ह्रदय केंद्र की ओर गति करने लगती है और ह्रदय केंद्र को सक्रिय करने लगती है। यदि हमारा ध्यान कामवासना में होगा तो हमारी उर्जा कामकेंद्र की ओर गति करने लगती है और कामकेंद्र को सक्रिय करने लगती है। हमारा ध्यान जिस केंद्र पर होगा वह केंद्र सक्रिय होगा और अपना काम करेगा।  सामान्यतः हमारा ध्यान मष्तिष्क में होता है तो उर्जा मष्तिष्क की ओर गति करने लगती है और मष्तिष्क सक्रिय होने लगता है, यानी विचार करने लगता है। यदि हम आज्ञाचक्र या किसी वस्तु पर अपना ध्यान ले जाते हैं तो निर्विचार हो जाते हैं। क्योंकि हमरे विचार का केंद्र है मष्तिष्क जो विचार करता है और यदि हम अपने मष्तिष्क से ध्यान हटाकर आज्ञाचक्र पर ले जाते हैं तो हमारे विचार इसलिए रूकते हैं कि आज्ञाचक्र विचार का केंद्र नहीं है। आज्ञाचक्र विचार नहीं करता है, विचार करता मष्तिष्क!  हमने यहां विचारों के साथ कुछ नहीं किया है, सिर्फ अपनी चेतना को मष्तिष्क से हटाकर आज्ञाचक्र पर ले आए हैं और आज्ञाचक्र विचार नहीं करता है इसलिए हम निर्वि...

"नाभि को देखना"

डिप्रेशन -  मानसिक तनाव से तुरंत राहत देते हुए ध्यान में प्रवेश करवाने वाला एक सहज उपाय।  सब यही कहते हैं कि तनाव से मुक्ति पाने के लिए हमें ध्यान में प्रवेश करना होगा। लेकिन जब तक हम तनाव से मुक्ति न पा लें, तब तक ध्यान में प्रवेश कैसे कर सकते हैं? तनाव ही तो हमें ध्यान में प्रवेश करने से रोके हुए हैं?  तो पहले हम तुरंत तनाव मुक्ति का एक उपाय करते हैं। एक ऐसा उपाय जो पहले तनाव से मुक्त करेगा फिर हमें ध्यान में प्रवेश करवाएगा।  जब भी तनाव महसूस हो और मन खिन्न होने लगे तब इस प्रयोग को करना है। बैठ जाएं या विश्राम में लेट जाएं। आंखें बंद कर लें। शरीर को ढीला छोड़ दें। शिथिल छोड़ दें और श्वास को गहरी और धीमी लेना शुरू करें। श्वास को नाभि तक जाने दें। और कुछ भी नहीं करना है। सिर्फ श्वास को नाभि तक चलने देना है। यानि श्वास चले तब नाभि पेट के साथ उपर- नीचे उठे। ठीक वैसी श्वास लेनी है जैसी हमरे शरीर के नींद में जाने पर चलती है। नींद में हमारा पेट उपर -नीचे होता रहता है। शरीर को ढीला रखना श्वास के गहरी होने में मदद करेगा।  शरीर ढीला रहेगा तो श्वास स्वतः ही गहरी हो नाभि ...

कुंडलिनी जागरण में नाभि और श्वास की भूमिका -

नाभि पर ध्यान करने से क्या होगा ? आती-जाती श्वास पर ध्यान करने से क्‍या होगा? नाभि की साधना में हमें चलते-फिरते, उठते-बैठते एक ही बात का स्‍मरण रखना होता है, नाभि का। श्‍वास के साथ नाभि भी पेट की गति के साथ उपर नीचे हो रही है। बस इतना ही स्‍मरण रखना है। इसके विषय में सोचना- विचारना नहीं है। सिर्फ इस बात का ख्याल भर रखना होता है। नाभि के प्रति इतना ध्‍यान रखना है, कि श्‍वास जब भीतर आई तो नाभि पेट के साथ उपर उठी है और श्‍वास जब बाहर गयी तो नाभि पेट के साथ नीचे गयी है। यानि पेट के साथ नाभि का डोलना हमारे ध्यान में हो! और श्‍वास की साधना में भी चलते-फिरते, उठते-बैठते एक ही बात का स्‍मरण रखना होता है कि अब श्‍वास भीतर गई है, और अब श्वास बाहर गई है। इस बात का ध्‍यान रखना है, स्‍णरण रखना है कि श्‍वास जब भीतर जाए और श्‍वास जब बाहर आए, तो यह बात हमारी देखरेख में हो, हमारी निगरानी में हो। न तो इस विषय में सोचना- विचारना है, और न ही श्‍वास को कोई गति देना है। श्‍वास को अपनी लय में ही चलने देना है। सिर्फ श्‍वास को भीतर- बाहर, आते- जाते महसूस करना है, उसका ध्‍यान रखना है। हम यात्रा नाभि से भी शुरु ...