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‘‘पाॅवरफुल वृत्ति से सर्विस में वृद्धि’’

अभी जो भी आत्माएं आगे बढ़ते-बढ़ते अब जहाँ तक पहुँच गई हैं, उससे आगे बढ़ाने के लिए विशेष आत्माओं को विशेष क्या करना है...? जिन आत्माओं के निमित्त बने हो उन आत्माओं में भी शक्तिरूप से शक्ति भरने की आवश्यकता है। वर्तमान समय के मैजाॅरिटी आत्माओं की रिज़ल्ट क्या दिखाई देती है...? पीछे हटेंगे भी नहीं और आगे बढ़ेंगे भी नहीं। अटके हुए भी नहीं हैं, लटके हुए भी नहीं हैं ... लेकिन शक्ति नहीं है जो जम्प दे सकें...! एक्स्ट्रा फोर्स चाहिए। जैसे राॅकेट में फोर्स भरकर इतना ऊपर भेजते हैं ना, तो अभी आत्माओं को परवरिश चाहिए। अपनी यथा शक्ति से जम्प नहीं दे सकते। विशेष आत्माओं को विशेष शक्ति भरकर के हाई जम्प दिलाना है। चाहते हैं, पुरूषार्थ भी करते हैं, लेकिन अभी फोर्स चाहिए। 

वह फोर्स कैसे देंगे...? 
जब पहले अपने में इतना फोर्स हो जो अपने को तो आगे बढ़ा सको, लेकिन शक्ति का दान भी कर सको। जैसे ज्ञान का दान करते हो, वैसे अभी चाहिए शक्ति का बल। अभी वरदातापन का कर्तव्य करना है। ज्ञानदाता बन बहुत किया, अब शक्तियों का वरदाता बनना है। इसलिए शक्तियों के आगे सदैव वर मांँगते हैं। सिद्धि कैसे मिलेगी शक्तियों द्वारा...? अभी कौन-सी सर्विस करनी है...? वरदानी बनकर सर्वशक्तियों का अपनी निमित्त बनी हुई रचना को वरदान देना है। विशेष आत्मायें जो निमित्त बनी हुई हों, वो ही ज्यादा यह सर्विस कर सकती हैं। जैसे सुनाया; माइक बनना बहुत सहज है लेकिन आप लोगों की सर्विस..., माइक तो बहुत बन जायेंगे लेकिन माइट भरने वाले आप हो - अभी यह आवश्यकता है। अभी अपने ही पुरूषार्थ में रहने का समय नहीं है, अब अपने पुरूषार्थ द्वारा प्रत्यक्ष होकर प्रभाव निकालने का समय है और वह प्रभाव ही आत्माओं को आॅटोमेटिकली आकर्षण करेगा।  

वायुमण्डल का फाउन्डेशन वृत्ति है। तो वृत्तियों को जब तक पाॅवरफुल नहीं बनाया है तब तक वायुमण्डल में रूहानियत वा सर्विस में वृद्धि जो चाहते हैं वह नहीं हो सकती। अगर बीज पाॅवरफुल होता तो वृक्ष भी पाॅवरफुल होता है। तो बीज है वृत्ति, उससे ही अपनी वा सर्विस की वृद्धि कर सकते हो। वृद्धि का आधार वृत्ति है ... और वृत्ति में क्या भरना है, जिससे वृत्ति पाॅवरफुल हो जाए...? तो वह एक ही बात है कि वृत्ति में हर आत्मा के प्रति रहम वा कल्याण की वृत्ति रहे। तो आॅटोमेटिकली आत्माओं के प्रति यह वृत्ति होने के कारण उन आत्माओं को आप लोगों के रहम वा कल्याण का वायब्रेशन पहुँचेगा। 

जैसे रेडियो का आवाज़ कैसे आता है...? वायुमण्डल में जो वायब्रेशन होते हैं उनको कैच करते हैं। वायरलेस द्वारा वायब्रेशन कैच करते हैं। तो यह सब साइंस द्वारा एक-दो के आवाज़ को कैच कर सकते हैं वा सुन सकते हैं, तो वह है वायरलेस द्वारा और यह है रूहानी पॉवर द्वारा। यह भी अगर वृत्ति पाॅवरफुल है, तो वृत्ति द्वारा वायब्रेशन जो होगा वह उस आत्मा को ऐसे ही स्पष्ट अनुभव होगा जैसे रेडियो का स्वीच खोलने से स्पष्ट आवाज़ सुनने में आता है। आजकल टेलिवीज़न द्वारा भी एक्ट, आवाज़ को स्पष्ट जान सकते हैं। ऐसे ही अब वृत्तियों द्वारा बहुत सर्विस कर सकते हो। जैसे टेलिवीज़न वा रेडियो की स्टेशन एक ही स्थान पर होते हुए भी कहाँ-कहाँ वह पहुँचता है...! ऐसे ही वृत्ति में इतनी पाॅवर होनी चाहिए जो कहाँ भी बैठें, लेकिन जितनी पाॅवरफुल स्टेज उतना दूर तक पहुँच जाता है। इसी रीति से जिस आत्मा की वृत्ति जितनी पाॅवरफुल है, उतना एक स्थान पर चारों ओर वृत्ति द्वारा आत्माओं को आकर्षण करेंगे। अभी यह सर्विस चाहिए। वाणी और वृत्ति - दोनों साथ-साथ चाहिए। वृत्ति वाणी से सूक्ष्म है ना। तो सूक्ष्म का प्रभाव जास्ती पड़ेगा।


जैसे कभी-कभी कोई चीज़ को ज्यादा रिफाइन करते हैं - तो रिफाइन भले हो जाती है, लेकिन पॉवरलेस हो जाती है। आजकल की चीज़ों में रिफाइन होते भी फोर्स है...? तो यह भी नॉलेज का रूप रिफाइन हो गया है, टैक्ट रिफाइन हो गई है, लेकिन फोर्स कम है। पहली बातें अगर स्मृति में लाओ तो वह खुमारी कितनी थी...! नॉलेज की आकर्षण नहीं थी, लेकिन मस्तक और नयनों में आकर्षण थी। नयनों से सब अनुभव करते थे कि यह कोई अल्लाह लोग आए हैं। अभी मिक्स होने के कारण मिक्सड दिखाई देते हैं। बहुत मिक्स वाली चीज़ जो होती है वह अल्पकाल के लिए रसना बहुत देती है लेकिन उसमें ताकत नहीं होती। जैसे चटनी कितनी चटपटी होती है, लेकिन उसमें पॉवर है...? सिर्फ अल्पकाल के लिए जीभ का रस आकर्षण करता है। तो यह भी बहुत मिक्स करने से अल्पकाल के लिए सुनने में बहुत अच्छा लगता है, परन्तु पॉवर नहीं...! 

जैसे ताकत की चीज़ एनर्जी को बढ़ाती है और एनर्जी सदाकाल का साथी बन जाती है। इसी रीति से जो अथॉरिटी (authority) और ऑरिजिनेलिटी (originality) के बोल हैं वह सदाकाल के लिए शक्ति रूप बना देता है और जो रमणीक रूप वा मिक्स रूप करते हैं तो वह सिर्फ अल्पकाल के लिए रूचि में लाते हैं। आत्माओं को रूचि में लाना है वा शक्ति भरनी है...? क्या करना है...? शक्ति उन्हों को सदाकाल के लिए आकर्षित करती रहेगी ... और रूचि अभी है, फिर दूसरी कोई बात सुनी तो उस तरफ रूचि होने के कारण वहाँ ही खत्म हो जायेगी...! तो ऐसा अभी रमता योगी बनो। ऐसे अनुभव होने चाहिए - जैसे कोई बड़े-बड़े महात्माएं होते हैं बहुत समय गुफाओं में रहने के बाद सृष्टि पर आते हैं सेवा के लिए। ऐसे जब स्टेज पर आते हो तो यह अनुभव होना चाहिए कि यह आत्माएं बहुत समय के अन्तर्मुखता, रूहानियत की गुफा से निकल कर सेवा के लिए आई हैं। तपस्वी रूप दिखाई दे। बेहद के वैराग की रेखायें सूरत से दिखाई दें। 

कोई थोड़ा-सा वैरागी होता है तो उनकी झलक सिद्ध करती है ना कि यह वैरागी हैं। तो बेहद की वैराग वृत्ति दिखाई देनी चाहिए। स्टेज पर जब सर्विस पर आते हो तो आपकी सूरत ऐसे अनुभव होनी चाहिए जैसे प्रोजेक्टर की मशीन होती है - उसमें स्लाइड्स चेन्ज होती जाती हैं। कितना अटेन्शन से देखते हैं...! वह सीन स्पष्ट दिखाई देती है। वैसे जब सर्विस की स्टेज पर आते हो - एक-एक की सूरत प्रोजेक्टर-शो की मशीन मुआफिक दिखाई दे। रहमदिल का गुण सूरत से दिखाई देना चाहिए। बेहद के वैरागी हो तो बेहद वैराग्य की रेखायें सूरत से दिखाई देनी चाहिए। ऑलमाइटी अथॉरिटी द्वारा निमित्त बने हुए हो तो अथॉरिटी का रूप दिखाई देना चाहिए। जैसे उसमें भी स्लाइड्स (slides) भर लेते हैं, फिर एक-एक स्पष्ट दिखाई देता है। इसी रीति से आत्मा में जो सर्व गुणों के वा सर्व शक्तियों के संस्कार भरे हुए हैं वह एक-एक संस्कार सूरत से स्पष्ट दिखाई दें। इसको कहा जाता है - सर्विस। जैसे साकार रूप (ब्रह्मा बाबा) का इग्जैम्पल देखा, सूरत से हर गुण का प्रत्यक्ष साक्षात्कार किया ... फॉलो फादर...। कैसी भी अथॉरिटी वाला आये वा कैसे भी मूड वाला आये लेकिन गुणों की पर्सनैलिटी, रूहानियत की पर्सनैलिटी, सर्व शक्तियों की पर्सनैलिटी के सामने क्या करेंगे...? झुक जायेंगे। अपना प्रभाव नहीं डाल सकेंगे।



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