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**************** ध्यान के तीन चरण;- 1-अगर पहला चरण न हो, तो बड़े खतरे हैं। पहले चरण से आपके शरीर की पूरी विद्युत विकसित होकर आपके शरीर के चारों तरफ वर्तुल बना लेती है। अगर यह वर्तुल न बने, तो आपको ऐसी बीमारियां पकड़ सकती हैं जिनकी आपको कल्पना भी नहीं है। आप बीमारियों के लिए नॉन-रेसिस्टेंस की हालत में हो जाते हैं। इसलिए बहुत से लोग अजीब-अजीब बीमारियों से पीड़ित हो जाते हैं। इसलिए पहला चरण पूरा होना बहुत जरूरी है। 2-आपके चारों तरफ विद्युत का वर्तुल बनना जरूरी है। अन्यथा ध्यान में एक तरह की वल्नरेबल, एक तरह की ओपनिंग, एक तरह का द्वार खुलता है, उसमें से कुछ भी प्रवेश हो सकता है। और न केवल बीमारी प्रवेश हो सकती है, बल्कि अनेक साधकों को जो बड़ी से बड़ी कठिनाई हुई है वह यह कि कुछ दुष्ट आत्माएं उनमें प्रवेश कर सकती हैं। 3-ध्यान की हालत में आपके हृदय का द्वार खुला हो जाता है। उस वक्त कोई भी प्रवेश कर सकता है। और हमारे चारों तरफ बहुत तरह की आत्माएं निरंतर उपस्थित हैं। यहां आप ही उपस्थित नहीं हैं, और भी कोई उपस्थित हैं। इसलिए पहले चरण को हर हालत में पूरा करना जरूरी है। अगर पहला चरण पूरा है ...